- गणेश स्रोतम को संकटनाशन गणेश श्रोत के नाम से भी जाना जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार गणेश स्रोतम की उत्पत्ति नारदपुराण से हुआ है।
- सप्ताह व्रत के अनुसार बुधवार को गणेश जी का दिन होता है।
- बुधवार को गणेश श्रोत का पाठ करने से जल्द ही फल की प्राप्ति होती है।
- इस स्रोतम का पाठ आप अपनी इच्छानुसार 5, 7,11, 21 की संख्या में कर सकते है।
- गणेश स्रोतम पाठ को सुनने मात्र से आपके सारे कष्ट मिट जाते है।
- इस श्रोत मे भगवान गणेश की महिमा, कथाएं, और उनके पूजन की विधियों का विस्तृत वर्णन है।
गणेश स्रोतम | Ganesh Stotram
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥2॥
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥3॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥
गणेश स्रोतम के लाभ
- यह स्रोतम नकरात्मत शक्तिया को दूर रखता है।
- इसके के पाठ से घर में सुख शांति तथा आपकी मनोकामनाए पूर्ण होती है।
- गणेश जी के आशीर्वाद से बल, विद्या, बुद्धि में वृद्धि होती है।
- इसके पाठ से आपके परिवार तथा संबंधियों से संबंध मधुर रहेंगे।