दुर्गा पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ भव्य स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माँ दुर्गा ने इस दिन महिषासुर नामक एक राक्षस का वध कर उसके अत्याचार से देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। इसीलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। दुर्गा पूजा भारत के अनेक राज्यों में, जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, और पश्चिम बंगाल (विशेष रूप से कोलकाता) में बड़े-बड़े पंडाल अलग-अलग थीम पर लगाए जाते हैं।
- दुर्गा पूजा साल में 2 बार मनाया जाता है, एक चैत्र माह में दूसरा शरद माह मनाई जाती हैं।
- यह पूजा सामान्य रूप से षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी तक चलती है।
- दुर्गा पूजा में भक्त माँ दुर्गा की प्रतिमा अपने घर लाते हैं और कलश स्थापना कर व्रत और पूजा करते हैं। दशमी के दिन, माँ दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
- भारत में दुर्गा पूजा को बंगाल में भगवती पूजा के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, और झारखंड जैसे अनेक राज्यों में इसे दुर्गा पूजा के नाम से धूमधाम से मनाया जाता है।
- कोलकाता, पशिम बंगाल में हर साल दुर्गा पूजा पर हजारों की संख्या में पंडाल लगते है, जिन्हे अलग-अलग थींम पर बनाया जाता है।
- इसके आलवा हर साल दुर्गा पूजा पर दिल्ली एननसीआर मे लगभग 250 पंडाल स्थापित किए जाते है।
दुर्गा पूजा 2024 | Durga Puja 2024
वर्ष 2024 में दुर्गा पूजा 9 अक्टूबर, दिन बुधवार से शुरू होगी, तथा 13 अक्टूबर 2024, दिन रविवार तक मनाई जाएगी।
जानिए दुर्गा पूजा क्यू मनाया जाता है? | Durga Puja Kyu Manaya Jata Hai?
कथाओं के अनुसार, महिषासुर नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की। ब्रह्मा जी ने महिषासुर की तपस्या से खुश होकर उसे आशीर्वाद दिया कि ‘ना तो उसे कोई देवता मार सकता है, ना ही ब्रह्मा, विष्णु, और महेश।’
भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद पाकर महिषासुर ने अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग करना शुरू कर दिया। महिषासुर ने पहले तो सभी पृथ्वीवासियों को परेशान और प्रताड़ित करना शुरू किया, और बाद में उसने स्वर्ग में देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया।
महिषासुर से परेशान सभी देवताओं ने भगवान ब्रह्मा से सहायता मांगी। तब भगवान ब्रह्मा भगवान विष्णु के पास गए और फिर दोनों भगवान शिव के पास गए। तब भगवान शिव ने माता आदिशक्ति का आह्वान किया, जिससे माँ दुर्गा प्रकट हुईं।
माँ दुर्गा ने महिषासुर से दस दिनों तक युद्ध किया और अंततः उसका वध किया। महिषासुर के वध को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
कोलकाता दुर्गा पंडाल | Kolkata Durga Pandal
कोलकाता में दुर्गा पूजा के दौरान अनेक पंडाल अलग-अलग थीम पर लगाए जाते हैं। यहाँ दुर्गा पूजा की शुरुआत षष्ठी तिथि के पहले ही हो जाती है और नवमी-दशमी तक चलती है। कोलकाता में दुर्गा पूजा के अवसर पर पंडाल, आकर्षक सजावट और लुभावनी मूर्तियाँ सभी का ध्यान खींचती हैं, जिन्हें देखने के लिए हजारों श्रद्धालु आते हैं।
पूरे शहर में लगातार पंडालों को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। इन पंडालों की थीम और सजावट देखकर तमाम यूट्यूब न्यूज चैनल और टीवी चैनल वाले भी यहाँ आते हैं और इस भव्य आयोजन को कवर करते हैं।