अश्विन पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आती है। इसे कोजागरी पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा या कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए जाना जाता है और इसे भारतीय समाज में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
महत्व | Mahatva
अश्विन पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है। इसे धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन रात को देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो लोग जागरण करते हैं और उनकी पूजा करते हैं, उन्हें विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन कोजागर व्रत करने वालों को लक्ष्मी जी की कृपा से धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
क्यों मनाया जाता है ? | Kyo Manaya Jata Hain?
अश्विन पूर्णिमा को कई पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर मनाया जाता है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी इस रात को जागरण करने वालों को धन और संपत्ति का आशीर्वाद देती हैं। इस रात चंद्रमा अपनी संपूर्णता और सुंदरता के चरम पर होता है, और माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों में विशेष ऊर्जा होती है जो स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करती है। इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों के नीचे रखकर खाने का विशेष महत्व है, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है।
अश्विन पूर्णिमा तिथि | Ashwin purnima Date
अश्विन पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सितंबर या अक्टूबर महीने में पड़ती है। यह त्योहार भारतीय पंचांग के अनुसार तिथि तय करने पर आधारित होता है, इसलिए हर साल इसकी तिथि में थोड़ा अंतर हो सकता है। 2024 में, अश्विन पूर्णिमा 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी।
निष्कर्ष
इस दिन का महत्व देवी लक्ष्मी की पूजा और चंद्रमा की किरणों से स्वास्थ्य लाभ में निहित है। अश्विन पूर्णिमा हमें अपने जीवन में समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति के साथ-साथ अध्यात्मिकता और धार्मिकता का महत्व भी सिखाती है।