शनिवार का व्रत भगवान शनि देव को प्रसन्न करने और उनके साढ़े साती के प्रभाव से बचने के लिए किया जाता है।
- जिस व्यक्ति के जीवन में साढ़े साती लगती है, उसको अनेक परेशानियों का सामना एक साथ करना पड़ता है
- साढ़े साती प्रकोप से बचने के लिए हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाना चाहिए।
एक समय की बात है, किसी गाव में एक ब्राह्मण देवता अपनी पत्नी तथा बच्चों के साथ रहते थे। एक दिन जब ब्राह्मण देवता सुबह सो कर उठे, तो वह बहुत चिंतित थे। ब्राह्मण देवता को चिंतित देख कर उनकी पत्नी ने पूछा, आप सुबह-सुबह आप किस चिंता में डूबे हुए है?
पत्नी की बात सुन कर ब्राहमण देवता ने बोला, मै कई दिन से सपना देख रहा हूँ, एक व्यक्ति नीले कपड़े पहन कर आता है और बोलता है “तुम्हें मेरी साढ़े साती लगेगी।
यह सुन ब्राह्मण देवता की पत्नी ने बोला, यह तो भगवान शनिदेव है, जो आप पर शनि की दशा लगाने को कहते है। अब जब शनि देव आप के सपने में आए और बोले “तुम्हें मेरी साढ़े साती लगेगी” तो आप उनसे बोलिएगा की सवा पहर से ज्यादा न लगाए।
ब्राह्मण देवता ने बोला ठीक है, मै ऐसे ही बोलूँगा। दूसरे दिन रात्री को शनिदेव फिर से ब्राह्मण देव के स्वप्न में आये, और बोले “ तुम्हें मेरी साढ़े साती लगेगी”। तब ब्राह्मण देव ने बोला “हे प्रभु मेरे पास इतनी क्षमता नहीं है, मै इतने साल नहीं सह पाऊँगा”।
तब शनिदेव ने बोला ठीक है, मै ढाई साल लगूँगा। फिर ब्राह्मण देव ने बोला, हे प्रभु मै इतना भी नहीं सह पाऊँगा, कृपा कर के आप केवल सवा प्रहर तक लगिए। भगवान शनिदेव ने बोला ठीक है, मै सवा प्रहर तक लगूँगा।
अगले दिन प्रातःकाल होते ही ब्राह्मण देव ने अपनी पत्नी से बोला, मुझे शनि देव की कुदृष्टि लगी है सवा पहर के लिए। इसीलिए मै जंगल जा रहा हु, वही पूजा अर्चना करूंगा।
इतना बोल कर ब्राह्मण देव जंगल चले गए। जंगल में उन्होंने पूजा की और जब कुछ समय बचा तो, वह सोचने लगे की इतना समय तो घर जाने मे ही लग जाएगा। और वह घर जाने के लिए निकल पड़े। रास्ते में उन्हे एक तरबूज का खेत दिखाई दिया।
ब्राह्मण देव ने सोचा, बच्चों के लिए तरबूज लिए चलता हु। यह सोचकर वह खेत के मालिक को खोजने लगे, पर वह नहीं मिला। इसीलिए ब्राह्मण ने 2 तरबूज तोड़ लिए और तरबूज का मूल्य वही रख दिया।
ब्राह्मण देव चलते-चलते नगर में पहुचे। नगर में उन्हे 2 सिपाही ने रोक लिया और पूछा, इस पोटली में क्या रखा हैं? ब्राह्मण देव ने बोला, इसमे तरबूज है। सैनिकों को भरोसा नहीं हुआ वो बोले इसे खोल कर दिखाओ। ब्राह्मण देव ने जैसे ही पोटली खोली, तो देखा की नगर के राजा के दोनों बेटों के सिर है।
सैनिकों ने ब्राह्मण को बंदी बनाया और राजा के पास ले गए और बोले महराज इन्होंने आपके पुत्र की हत्या की है, और उसका सिर पोटली में छुपा रखा था। यह सुन राजा ने ब्राह्मण को फासी की सजा सुना दी। ब्राह्मण ने राजा से प्रार्थना की मेरी अंतिम इच्छा है, मै मरने से पहले पूजा पाठ करना चाहता हूँ।
राजा ने ब्राह्मण की अंतिम इच्छा पूरी करने की अनुमति दे दी। ब्राह्मण देव ने पूजा पाठ किया तब तक शनि का सवा पहर की कुदृष्टि समाप्त हो गई। कुछ देर बाद ही राजा के दोनों पुत्र शिकार से लौट आए, यह देख राजा हैरान रह गए।
राजा ने ब्रह्मण की सजा रोक दी, और उनके साथ हुए इन हादसों का कारण पूछा। ब्राह्मण ने बोला की मुझ पर शनि देव की सवा पहर की दशा लगी थी, जो अब समाप्त हो गई है। यह सुन राजा ने ब्राह्मण से पूछा की अगर शनि की दशा लगे तो क्या करना चाहिए?
ब्रह्मण देव ने बोला की अगर शनि की कुदृष्टि लगे तो काले कुत्ते को रोटी में तेल लगाकर खिलाए, सामर्थ्यवान व्यक्ति काले हाथी या काले घोड़े का दान करे, कथा कहानी का पाठ करे। यह सब करने से शनि की दशा समाप्त हो जाती है।
यह सुन राजा ने राजा ने ब्राह्मण देव को छोड़ दिया। जैसे ही ब्राह्मण देव घर पहुचे तो उनकी पत्नी ने पूछा की पोटली में क्या है ?ब्राह्मण ने बोला बच्चों के लिए तरबूज लाया हूँ। पत्नी ने पोटली खोली तो देखा, पोटली सोने चांदी हीरे जवाहरात से भरी है।
यह देख पत्नी ने बोला यह पोटली तो सोने चांदी जवाहरात से भरी है, आप इसे कहा से लाए है? यह देखकर ब्राह्मण देव अत्यनंत प्रसन्न हो गए।
और शनि देव की महिमा बताई, बोले की जब सवा प्रहर दशा लगी थी। तो तरबूज राजा के बेटे का सिर बन गया, और जब सवा प्रहर दशा समाप्त हुई, तो तरबूज सोने चांदी जेवरात बन गए है।
हे। शनि देव आपकी महिमा अत्यंत निराली है, जैसे आप ने मुझ पर सवा प्रहार की दशा लगाई थी, वैसे किसी पर न लगाना, और जैसे आप ने मुझ गरीब पर कृपा की है ऐसे कृपा सब पर करना।