बुध प्रदोष का महत्व
- इस व्रत को करने से आपकी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
- माता पार्वती तथा भगवान शिव आपकी सारी मनोकामना पूर्ण करते है।
- इस व्रत को करने से अशुभ प्रभावों में कमी आती है।
- भगवान शिव एवं माता पार्वती का सदैव आशीर्वाद रहता है।
बुध प्रदोष व्रत कथा | Budh Pradosh Vrat Katha In Hindi
प्राचीन काल की बात है एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ था। तथा वह गौने के बाद अपनी पत्नी को दुबारा लेने के लिए अपनी ससुराल पहुचा और अपनी सास से बोला की, वह बुधवार के दिन ही अपनी पत्नी को लेकर नगर को जाएगा।
उस पुरुष की सास ससुर तथा घर सभी लोगे ने समझाया की बुधवार के दिन पत्नी को विदा कराकर ले जाना अशुभ माना जाता है। लेकिन पुरुष ने अपनी जिद के आगे किसी की न सुनी।
विवश होकर सास ससुर को अपने बेटी तथा दामाद को विदा करना पड़ा। पति पत्नी बैलगाड़ी से जा रहे थे। कुछ देर बाद पत्नी को प्यास लगी और पति लोटा लेकर पानी लेने निकल पड़ा।
जब वह पानी लेकर लौट कर आया तो देखा की उसकी पत्नी किसी अन्य पुरुष द्वारा लाए गये पनि को पी कर हस-हस कर बात कर रही थी। यह देख वह क्रोधित हो गया तथा वह उस आदमी से झगड़ा करने लगा।
परंतु आश्चर्य इस बात पर हो रहा था की वह जिस व्यक्ति से लड़ रहा था। वह बिल्कुल उसकी तरह दिखता है। काफी देर तक लड़ने की वजह से वहा पर लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और सिपाही भी आ गए।
सिपाही ने महिला से पूछा की ये बताओ दोनों पुरुष में से कौन सा तुम्हारा पति है? महिला असमंजस में पड़ गई। और वहा एकत्रित सारे लोग आश्चर्य में पड़ गये।
अपनी पत्नी और इस हालत को देखकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भगवान शिव से हाथ जोड़कर विनती करने लगा। हे प्रभु हमारी रक्षा करे, मुझसे भूल हो गई जो अपनी पत्नी को मै बुधवार को विदा करा के लाया, ऐसे गलती मै कभी नहीं करूंगा।
जैसे ही उसकी विनती खत्म हुई, दूसरा व्यक्ति जो उसका हमशक्ल था वह अंतर्ध्यान हो गया। और वह पति पत्नी अपने घर चले गए। जब से उन लोगो ने नियमपूर्वक बुधत्रयोदिशी का व्रत एवं पूजा करना सुरू कर दिया।
पढिए:- प्रदोष व्रत विधि