आरती कुंज बिहारी की” एक अद्वितीय आरती है, जिसमें हम भगवान कृष्ण के दिव्य रूप, लीलाएं, और सौंदर्य में विलीन होकर उनकी स्तुति और पूजा करते हैं।
- कुंज बिहारी, भगवान कृष्ण के एक प्रसिद्ध नामों में से एक हैं।
- “कुंज” शब्द वृंदावन को दर्शाता है और “बिहारी” भगवान कृष्ण को कहा गया हैं।
- इस नाम से भगवान कृष्ण का सौंदर्य, लीला, और दिव्यता का स्मरण होता है।
- इनकी आरती और साधना भक्तों में अहम् भूमिका निभाती है।
- इस आरती का पाठ करने से भक्त की मानसिक स्थिति शांत होती है, और वह स्वयं को सकारात्मक दिशा में देखता है।
।। आरती कुंज बिहारी की ।। (Aarti Kunj Bihari ki)
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झल काला, नंद के आनंद नंदलाला ।।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाड़े बनमाली, भ्रमर सी अलक,कस्तूरी तिलक।
चंद्र सी झलक,ललित छवि श्यामा प्यारी की।।
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट दिल से , देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग।
ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव शीष , जटा के बीच,
हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेणु, बज रही वृंदावन बेणु ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कुंज बिहारी आरती के लाभ
- इस आरती से भक्त को दया और करुणा की भावना आती है।
- इस आरती के पाठ से मानव जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।
- कुंज बिहारी की आरती करने से भक्त का मानवीय और पारिवारिक जीवन सुखमय बनता है।
- यह आरती भक्त को सांसारिक कठिनाइयों से मुक्ति की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
- कुंज बिहारी आरती भक्त को अध्यात्मिक जागरूकता देती है और उसे जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति में मदद करती है।