मध्यमहेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह पंच केदार मंदिरों में दूसरा प्रमुख मंदिर माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था। यहाँ भगवान शिव की नाभि की पूजा की जाती है।
मध्यमहेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास
मध्यमहेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा किया गया था। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडव भगवान शिव के दर्शन के लिए तीर्थ यात्रा पर गए, लेकिन युद्ध में हुए विनाश से शिवजी नाराज थे और उनसे मिलने से इनकार कर दिया। भगवान शिव ने पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर एक बेल के रूप में प्रकट होकर धरती में विलीन हो गए, फिर पाँच अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए, जिन्हें आज ‘पंच केदार’ के रूप में पूजा जाता है। मध्यमहेश्वर मंदिर में भगवान शिव का मध्य भाग (नाभि रूप) प्रकट हुआ था, इसलिए इस मंदिर को ‘मध्यमहेश्वर’ नाम दिया गया। यह मंदिर शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।
2025 में कब खुलेगा मध्यमहेश्वर महादेव मंदिर?
मंदिर खुलने की तिथि
मध्यमहेश्वर महादेव मंदिर के कपाट 20 मई 2025 को खुलेंगे। इस शुभ अवसर पर विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा।
मंदिर के दर्शन और आरती समय
- दर्शन का समय: सुबह 5:00 बजे से रात 8:00 बजे तक।
- सुबह की आरती: 5:00 बजे।
- शाम की आरती: 7:00 बजे।
भक्त इस पवित्र अवसर पर भगवान शिव के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।