तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित, दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर और पंच केदारों में से एक है। समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
तुंगनाथ मंदिर का इतिहास
तुंगनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया माना जाता है। एक कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद हुए भारी नरसंहार से मुक्ति और अपने पापों के प्रायश्चित के लिए पांडवों ने भगवान शिव की खोज में हिमालय की यात्रा की। भगवान शिव उनसे नाराज थे और उनसे मिलने से बचने के लिए उन्होंने नंदी (बैल) का रूप धारण कर लिया। जब पांडवों ने उनका पीछा किया, तो शिव के शरीर के विभिन्न भाग अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए, जिन्हें आज पंच केदार के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि तुंगनाथ में भगवान शिव की भुजाएँ प्रकट हुई थीं, जहाँ पांडवों ने मंदिर की स्थापना की।
यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में समुद्र तल से 3,680 मीटर (12,073 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यह पंच केदार में सबसे ऊँचा मंदिर है और विश्व के सबसे ऊँचे शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। तुंगनाथ मंदिर से चंद्रशिला की चोटी और हिमालय का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। मंदिर की यात्रा का सर्वोत्तम समय मई से नवंबर के बीच होता है।
2025 में कब खुलेगा तुंगनाथ मंदिर?
मंदिर खुलने की तिथि
तुंगनाथ मंदिर के कपाट 10 मई 2025 को खुलेंगे। इस शुभ अवसर पर विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा।
मंदिर के दर्शन और आरती समय
- दर्शन का समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक।
- सुबह की आरती: 6:00 बजे।
- शाम की आरती: 6:30 बजे।
भक्त इस पवित्र अवसर पर भगवान शिव के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।