माता कात्यायनी दुर्गा जी का छठा स्वरूप हैं और नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है। इनकी पूजा से भक्तों को ज्ञान, विद्या, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माता कात्यायनी की आरती का गान करने से जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं।
|| माता कात्यायनी की आरती ||
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा॥
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते॥
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो॥
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
आरती के लाभ | Aarti ke Labh
- माता कात्यायनी की आरती करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और मन को शांति मिलती है।
- इस आरती का पाठ करने से जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं।
- माता कात्यायनी की कृपा से घर में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।
- माता की आरती से भक्तों को शक्ति और साहस मिलता है।
विधि | Vidhi
- माता कात्यायनी की आरती किसी पवित्र और शांत स्थान पर करनी चाहिए। सुबह और शाम का समय इस आरती के लिए उपयुक्त होता है।
- आरती से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर माता कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- आरती के समय दीपक जलाएं और माता के सामने रखें।
- श्रद्धा और भक्ति के साथ माता कात्यायनी की आरती का पाठ करें।
- आरती के बाद माता को नैवेद्य अर्पित करें और प्रसाद वितरित करें।
माता कात्यायनी की आरती का नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्तों को माता की कृपा प्राप्त होती है।