स्वामीनारायण संप्रदाय के भक्तों के लिए आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है। यह भगवान स्वामीनारायण की पूजा का एक अभिन्न हिस्सा है। स्वामीनारायण आरती का नियमित रूप से पाठ करने से मन की शांति, भक्ति, और भगवान स्वामीनारायण की कृपा प्राप्त होती है।
॥आरती॥
जय जय स्वामीनारायण, प्रभु जय जय स्वामीनारायण।
सहजानंद दयासिंधु, जय जय स्वामीनारायण॥
चरनसरोज तमारा वंदूं कर जोड़ी,
प्रभु वंदूं कर जोड़ी।
चार वेद निवाही, शास्त्र संधायी,
धर्मा एक प्रतिष्टा स्थापित करी,
जय जय स्वामीनारायण॥
भक्तों की चिंता हरणार, दुख निवारण,
सुख निधान स्वामीनारायण।
घनश्याम रूप, सदा सारुप्य,
ध्यान धरि सदा सारुप्य,
जय जय स्वामीनारायण॥
प्रभु चरनकमल शरण तजूं नहिं क्यारे,
अविनाशी अक्षर धाम पहुंचाे मझाेरे,
जय जय स्वामीनारायण॥
जय जय स्वामीनारायण, प्रभु जय जय स्वामीनारायण।
सहजानंद दयासिंधु, जय जय स्वामीनारायण॥
आरती का महत्व और लाभ:
- स्वामीनारायण आरती का नियमित पाठ करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
- आरती का पाठ करने से भगवान स्वामीनारायण के प्रति भक्ति और प्रेम में वृद्धि होती है।
- स्वामीनारायण भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जिससे जीवन के सभी संकट और समस्याएँ दूर होती हैं।
- आरती के समय उत्पन्न होने वाली ध्वनि और वायब्रेशन से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
विधि
- स्थान और समय का चयन: स्वामीनारायण आरती का पाठ किसी पवित्र और शांत स्थान पर करना चाहिए। सुबह और शाम का समय इस आरती के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
- स्नान और शुद्धता: आरती से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान स्वामीनारायण की मूर्ति या तस्वीर: पूजा स्थल पर भगवान स्वामीनारायण की मूर्ति या तस्वीर को रखें।
- दीप प्रज्वलित करें: आरती के समय दीपक जलाएं और भगवान स्वामीनारायण के सामने रखें।
- आरती का पाठ: भक्तिभाव से स्वामीनारायण आरती का पाठ करें।
- प्रसाद: आरती के बाद भगवान को नैवेद्य अर्पित करें और प्रसाद वितरित करें।
स्वामीनारायण आरती का नियमित पाठ जीवन में सकारात्मक बदलाव और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।