हयग्रीव जयंती हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है। हयग्रीव, जिनका स्वरूप घोड़े के सिर और मानव शरीर का है, ज्ञान, बुद्धि और धर्म के संरक्षक माने जाते हैं। इस पावन दिन पर भक्तजन भगवान हयग्रीव की पूजा करके वेदों और धर्म की रक्षा के उनके महान कार्यों को स्मरण करते हैं।
हयग्रीव जयंती 2024 तिथि | Hayagriva Jayanti 2024 Date
वर्ष 2024 में हयग्रीव जयंती 19 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन की तिथि की शुरुआत सुबह 4:30 बजे से होकर शाम 6:56 बजे तक रहेगी। यह त्योहार विशेष रूप से हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है।
हयग्रीव जयंती पूजा विधि | Hayagriva Jayanti Puja Vidhi
- हयग्रीव जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनें। वहां भगवान हयग्रीव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- भगवान हयग्रीव की पूजा के लिए दीपक जलाएं और उन्हें फूल चढ़ाएं।
- पूजा शुरू करने से पहले भगवान हयग्रीव से संकल्प लें और अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करें।
- भगवान हयग्रीव की आरती करें और उनके मंत्र का जप करें। विशेष रूप से, “ॐ हयग्रीवाय नमः” मंत्र का जप करें।
- पूजा के बाद भगवान को फल, मिठाई या विशेष प्रसाद अर्पित करें और परिवार के सभी सदस्यों के साथ प्रसाद का वितरण करें।
- हयग्रीव जयंती के दिन हयग्रीव की कथा सुनना भी महत्वपूर्ण है।
हयग्रीव मंत्र | Hayagriva Mantra
“ॐ ह्लौं ह्रीं श्रीं-ऐं-श्रीहयग्रीव मम सर्वविद्या दापय दापय। तमसबुद्धिं हन हन ॥
अज्ञानदीन नाशय नाशय ॥
सर्व वेदशास्त्रादिषु सर्वज्ञत्वं दापय दापय।”
हयग्रीव जयंती कथा | Hayagriva Jayanti Katha
भगवान हयग्रीव विष्णु के एक अवतार के रूप में जाने जाते हैं, जिनका स्वरूप घोड़े के सिर और मानव शरीर का होता है। हयग्रीव जयंती की कथा पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है जो भगवान हयग्रीव के अद्वितीय स्वरूप और उनके उपदेशों के महत्व को दर्शाती है।
कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और विष्णु ने मिलकर एक विशेष यज्ञ किया। इस यज्ञ के दौरान, भगवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में अवतार लिया ताकि धर्म और वेदों की रक्षा की जा सके। हयग्रीव ने असुरों से वेदों की चोरी से बचाने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग किया। उन्होंने वेदों को पुनः प्राप्त किया और समस्त संसार को ज्ञान और धर्म की ओर मार्गदर्शन किया।
भगवान हयग्रीव के इस अवतार ने सुनिश्चित किया कि वेदों और धार्मिक ग्रंथों की रक्षा हो सके और वे मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक बने।
निष्कर्ष | Conclusion
हयग्रीव जयंती विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो शिक्षा और ज्ञान में उन्नति की कामना करते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान हयग्रीव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है।