गायत्री मंत्र को वेदों का सबसे महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है। यह मंत्र सूर्य देव की उपासना के रूप में जपा जाता है और इसे ज्ञान, शक्ति, और दिव्यता का स्रोत माना जाता है। यह मंत्र तीन देवताओं – ब्रह्मा, विष्णु, और महेश को दर्शाता है और संसार की समस्त ऊर्जा को जाग्रत करता है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ह्लीं बगलामुखी विद्महे दुष्टस्तंभनी धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
ॐ त्रिपुरायै विद्महे महाभैरव्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
|| ॐ पद्मद्वाजय विधमहे हेमा रूपया धीमेहे तन्नो चंद्र प्रचोदयत ||
ॐ वैरोचन्ये विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
ॐ धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात्॥
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥
|| देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात् ||
ॐ शुक्रप्रियायै विद्महे श्रीकामेश्वर्यै धीमहि तन्नः श्यामा प्रचोदयात्॥
गायत्री मंत्र के लाभ: | Gayati Mantra
- गायत्री मंत्र का नियमित जप मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
- इस मंत्र के जप से बुद्धि और स्मरण शक्ति में सुधार होता है।
- गायत्री मंत्र से आध्यात्मिक जागरूकता और उन्नति होती है।
- यह मंत्र जप नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करता है।
- गायत्री मंत्र के उच्चारण से शरीर और मन दोनों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
गायत्री मंत्र जप की विधि: | Gayati Mantra Jaap Ki Vidhi
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शांत और पवित्र स्थान पर बैठें। गायत्री माता की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं।
- कुश या ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- मंत्र जप से पहले संकल्प लें और मन में इसे पूर्ण श्रद्धा के साथ जपने का प्रण करें।
- तुलसी या रुद्राक्ष की माला लेकर 108 बार गायत्री मंत्र का जप करें: “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्॥”
- मंत्र जप के दौरान सूर्य देव या गायत्री माता का ध्यान करें।
- अंत में फल, मिठाई या अन्य प्रसाद चढ़ाएं और उसे बांटें।
- पूजा के बाद गायत्री माता और सूर्य देव को प्रणाम करें।
गायत्री मंत्र का नियमित जप से आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता हैं और जीवन में मानसिक शांति, बुद्धिमत्ता, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ जपने से साधक को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।