त्र्यम्बकेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित हैं और यह ब्रह्मगिरि नामक पर्वत के बीच गोदावरी नदी के तट पर है। मंदिर के गर्भगृह में तीन छोटे-छोटे लिंग स्थापित हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव के प्रतीक माने जाते हैं। यही इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है। अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों में केवल भगवान शिव ही विराजित हैं।
इतिहास | History
पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्र्यंबकेश्वर मंदिर का निर्माण भगवान शिव ने स्वयं किया था। मंदिर के निर्माण के पीछे एक पौराणिक कथा है, जो इस प्रकार है:
गौतम ऋषि ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक यज्ञ किया था। भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और गौतम ऋषि से वरदान मांगने को कहा। गौतम ऋषि ने भगवान शिव से अनुरोध किया कि वे इस स्थान पर सदा विराजमान रहें और उनके भक्तों की रक्षा करें। भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूरी की और त्र्यंबकेश्वर मंदिर में स्थापित हो गए।
मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में काल्याण राव साहिब ने कराया था। मंदिर की वास्तुकला मराठा शैली में बनाई गई है और इसमें कई सुंदर नक्काशी और मूर्तियाँ हैं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर हिंदू भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
गोदावरी नदी का उद्गम | Godavari Nadi ka Udgam
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के निकट ही ब्रह्मगिरि पर्वत स्थित है, जहाँ से गोदावरी नदी का उद्गम होता है। यह स्थान पवित्र माना जाता है और यहाँ स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि गौतम ऋषि की प्रार्थना पर भगवान शिव ने गोदावरी नदी को यहाँ प्रवाहित किया था।
समय | Timing
त्र्यम्बकेश्वर मंदिर का समय प्रतिदिन सुबह 5:30 बजे से रात 9:00 बजे तक है। सुबह की आरती के साथ मंदिर के द्वार खुलते हैं, जिसके बाद भक्तजन भगवान शिव के दर्शन और पूजा कर सकते हैं। दिन के विभिन्न समयों पर विशेष पूजा और आरती का आयोजन होता है
त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit Trimbakeshwar Temple
- अप्रैल से जून: इन दिनों यात्रा करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान तापमान बहुत अधिक हो सकता है।
- अक्टूबर से मार्च: त्र्यम्बकेश्वर मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मानसून और सर्दियों के महीनों में माना जाता है, जब मौसम सुहावना और अनुकूल होता है।