छठ पूजा का पर्व मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, और झारखंड में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान सूर्य व छठ माता को समर्पित है। छठ पूजा साल में 2 बार मनाई जाती है, एक बार चैत्र माह में और दूसरी बार कार्तिक माह में। महिलाएं इस पूजा को अपने पुत्र की लंबी आयु और सफलता के लिए करती हैं। छठ पूजा का आयोजन 4 दिनों तक चलता है।
- इस पर्व को डाला छठ, क्षेत्री छठ, डाला पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
- इस व्रत को कोई भी महिला और पुरुष कर सकते है।
- छठ में सूर्य को अर्ध नदी या तालाब के पानी में खड़े होकर दी जाती है।
- छठ पर्व से कुछ दिन पहले ही नदी तालाब आदि की सफाई शुरू हो जाती है।
- छठ के पहले दिन नाहाय खाए, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम को अर्ध और चौथे दिन सूर्योदय के समय अर्ध देते है।
- नहाए खाए के दिन लौकी और चावल बना कर खाते है।
- दूसरे दिन खरना होता है जिसमे चावल और गुड की खीर बना के खाई जाती है।
- खरना के दिन खीर को खाकर 36 घंटे का उपवास किया जाता है।
- खरना के अगले दिन संध्या अर्ध दी जाती है सूर्य देव को ।
- पुनः अगले दिन सूर्य देव को अर्ध देकर यह पूजा समाप्त होती है।
छठ पूजा 2024 तारीख | Chhath Puja 2024 Date
साल 2024 में छठ पूजा का आरंभ 5 नवंबर से आरंभ हो रहा है, और 8 नवंबर 2024 को समाप्त होगा।
- छठ पूजा का के प्रथम दिन यानि की 5 नवंबर 2024 को नहाए खाए होता है इस दिन पूजा का मुहूर्त प्रातः काल 6:15 से शाम 5:52 मिनट तक रहेगा।
- छठ पूजा के दूसरे दिन 6 नवंबर 2024 को खरना होता है इसमे पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:15 से शाम 5:52 मिनट तक रहेगा ।
- छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्ध दी जाती है और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6:15 से शाम 5:52 मिनट तक रहेगा ।
- छठ पूजा के चौथे दिन 8 नवंबर 2024 को सूर्यदेवता को अर्ध दी जाती है, इसमे पूजा का शुभ मुहूर्त 6:15 से शाम 5:52 मिनट तक रहेगा ।
छठ पूजा क्यों मनाया जाता है? | Chhath Puja Kyu Manaya Jata Hai
पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ पर्व का आरंभ महाभारत काल में हो गया था, इस पूजा को आरंभ करने का श्रेय सूर्य पुत्र करन को जाता है। ऐसा माना जाता है कर्ण भगवान सूर्य की पूजा काफी देर तक पानी में खड़े होकर करते र्और अर्ध देते थे। इसीलिए कर्ण इतने शक्तिशाली और महान योद्धा थे। तभी से छठ पर्व आरंभ हो गया।
एक और मान्यता है पर्व से संबंधित –
जब भगवान राम रावण का वध कर माता सीता के साथ अयोध्या लौटे, तो वह रावण के वध का पाप से मुक्ति पाना चाहते थे इसीलिए ऋषि के पास गए। ऋषि ने उन्हे सूर्यदेव की पूजा 4 दिन लगातार करने की विधि बताई।
इस व्रत का पालन माता सीता और प्रभु श्री राम ने विधि विधान से किया और उन्हे रावण वध से मुक्ति मिल गई थी। तभी से छठ पर्व को मनाया जाने लगा।
छठ पूजा 4 दिनों में कैसे होती है? | Four days of Chhath Puja
छठ का पहला दिन (Day 1)
इस दिन व्रती व्यक्ति स्नान आदि कर सूर्य देव के सामने छठ व्रत करने का संकल्प लेता है। और नहाए खाए का भोजन करना चाहिए।
छठ का दूसरा दिन (Day 2)
इस दिन व्रती पूरा दिन बिना अन्न और जल के उपवास करता है, और शाम को गुड की खीर चावल आदि खाते है, और अगले 36 घंटे के लिए उपवास भी रखते है।
छठ का तीसरा (Day 3)
इस दिन भगवान प्रातः काल ही पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। इस प्रसाद को व्रती व्यक्ति ही बनाता है, और शाम को सूर्य देव को अर्ध दिया जाता है।
छठ का चौथा दिन (Day 4)
इस दिन सूर्योदय होने से पूर्व घाट पर पहुच जाते है, और जब तक सूर्योदय होने तक पानी मे खड़े रहते है सूर्योदय होने पर सूर्य देवता को अर्ध देकर घर आते है। घर आकर प्रसाद को खाते है और जल ग्रहण करते है, और व्रत की समाप्ति या पारण हो जाता है।