नवरात्रि के सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा होती है, इनकी पूजा से आप अपने क्रोध से छुटकारा पा सकते है।
- कालरात्रि माँ पार्वती का एक स्वरूप है, जिनकी उत्पत्ति एक असुर के संघार के लिए हुई थी।
- माँ तंत्र – मंत्र की देवी है, तथा इनसे सिद्धीय प्राप्त करने के लिए, तात्रिक रात्रि में पूजा करते है।
- माँ कालरात्रि का रंग श्यामल है, तथा गले में मुंड की माला है, और इनके बाल खुले हुए होते है।
- माँ कालरात्रि देखने में अत्यंत भयानक है, इनके नाम से बुरी शक्तिया दूर भागती है।
- चार भुजा वाली माँ कालरात्रि के एक हाथ में कटार, तलवार तथा दूसरी भुजा से आशीर्वाद तथा निडरता प्रदान करती है।
- माँ कालरात्रि का वाहन गधा है, तथा इन्हे लाल रंग प्रिय है।
- माँ की भक्ति करने से भक्त की अकाल मृत्यु नहीं होती है।
माँ कालरात्रि कथा
पौराणिक कथा के अनुसार रक्तबीज नाम का एक राक्षस था। इस् राक्षस ने सभी मनुष्यों और देवताओ को परेशान कर रखा था। रक्तबीज इतना शक्तिशाली था की, उसके शरीर से एक भी रक्त की बूदं धरती पर गिरते ही, उसके जैसे अनेक रक्तबीज उत्पन्न हो जाते थे।
रक्तबीज के उपद्रव से सभी देवता परेशान हो गए, और भगवान शिव के पास गए। सभी देवताओ ने हाथ जोड़कर भगवान शिव और माता पार्वती से मदद करने के लिए अनुरोध किया।
सभी देवताओ के अनुरोध से माता पार्वती ने, रक्तबीज का वध करने का निर्णय लिया। रक्तबीज के वध के लिए माता पार्वती ने माँ कालरात्रि का रूप धारण किया, और रक्तबीज से युद्ध किया।
युद्ध में माँ ने रक्तबीज का वध किया। वध से रक्तबीज का खून धरती पर गिरता, उसके पहले ही माँ कालरात्रि ने उसका खून अपने मुह में ले लिया, और रक्तबीज का अंत हो गया।
पूजा विधि
- सर्वप्रथम प्रातः काल नित्यकर्म को खत्म कर, स्वच्छ वस्त्र धारण करे।
- रोली से माँ का तिलक करे।
- माँ का शृंगार करे।
- माँ का ध्यान कर, पुष्प हाथ में ले और व्रत का संकल्प ले।
- ध्यान मंत्र – “ॐ ऐं हीं क्लीं चामुंडायै विच्चै ॐ कालरात्रि दैव्ये नमः।”
- माँ को माला तथा गुड़हल के पुष्प अर्पित करे।
- भोग में गुड तथा मालपूआ चढ़ा सकते है।
- दुर्गा सप्तसती का पाठ करे
- पूजा के बाद क्षमा याचना करे।
लाभ
- मा की कृपा से कभी भी आकाल मृत्यु नहीं होती है।
- हर तरह के कष्ट से छुटकारा मिलता है।
- शरीर निरोग रहता है तथा बल विद्या बुद्धि में वृद्धि होती है।
- आपकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।
जानिए: नवरात्रि के छठवे दिन माँ के कौन से रूप की पूजा होती हैं