नवरात्रि के नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है, माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों की सारी सिद्धीय पूर्ण करती है।
- माना जाता है की माँ सिद्धिदात्री की उत्पत्ति सम्पूर्ण अंधकारमय ब्रह्मांड में उत्पन्न एक ज्योतिपुंज प्रकाश से हुआ है।
- चतुर्भुजधारी माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान है, तथा इनका वाहन सिंह है।
- माँ सिद्धिदात्री की चार भुजाये है, और इनके दाहिने हाथ में चक्र, गदा तथा बाये हाथ में वरदान मुद्रा तथा कमल है।
- माँ सिद्धिदात्री को भोग में हलवा पूरी, चना, फल चढ़ाया जाता है।
- पूजा में चढ़ाए हुए भोग को, कन्यायो को या फिर किसी गाय को खिला सकते है।
- माँ की कृपा से सभी प्रकार की सिद्धीय तथा भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।
माँ सिद्धिदात्री कथा
जब सम्पूर्ण जगत में कुछ भी नहीं था, और हर जगह अंधेरा छाया था। तब उस अंधेरे में से एक ऊर्जा प्रकाशित हुई, और धीरे-धीरे यह ऊर्जा एक महाशक्ति का रूप लेने लगी।
समय बीतता गया और इस ऊर्जा ने महाशक्ति का रूप ले लिया। फिर महाशक्ति ने त्रिदेवों (भगवान श्री हरी विष्णु, भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा) को उत्पन्न किया। और उन्हे सम्पूर्ण जगत के निर्माण तथा उसको सुचारु रूप से चलाने की आज्ञा दी।
ब्राह्मा जी को सृष्टि रचना का कार्य दिया, और विष्णु जी को सृष्टि को सुचारु रूप से चलाने का, तथा भोलनाथ को बुराई का नाश करने के लिए समय आने पर संघार का कार्य सौपा।
महाशक्ति की आज्ञा का अनुसरण कर के त्रिदेव युगों तक तपस्या में लीन रहे। उनकी तपस्या से माँ शक्ति माँ सिद्धिदात्री के रूप में दर्शन दी, तथा भगवान विष्णु को माँ लक्ष्मी, भगवान ब्रह्मा को सरस्वती, भगवान शिव को माँ पार्वती को सृष्टि के कार्य में निर्वहन हेतु प्रदान किया।
पूजा विधि
- सर्वप्रथम स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करे।
- इसके बाद गंगाजल से माँ को स्नान कराए।
- माँ का रोली कुमकुम अक्षत से तिलक करे।
- मा को चुनरी चढ़ाए, तथा उनका शृंगार करे।
- शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करे।
- माँ का ध्यान करे, और पुष्प अर्पित करे।
- ध्यान मंत्र – “या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रुपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।“
- माँ को पुष्प की माला तथा चम्पा और गुड़हल का पुष्प अर्पित करे।
- माता को हलवा, पूरी, चना का भोग लगाए।
- आम की लकड़ी से हवन करे तथा हलवा पूरी इसमे भी चढ़ाए।
- माँ दुर्गा की आरती करे।
पूजा के बाद आप कन्या पूजन तथा उन्हे भोजन करा सकते है।
लाभ
- माँ सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से ज्ञान में वृद्धि होती है।
- आपको सारी सिद्धीय प्राप्त होती है।
- शरीर नीरोग रहता है।
- बल बुद्धि विद्या में वृद्धि होती है
- आपकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।