- नवरात्रि के पाचवे दिन माँ दुर्गा के पाचवे स्वरूप, माँ स्कंदमाता की आराधना की जाती है।
- माँ पार्वती और भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को स्कन्द नाम से भी जाना जाता है।
- माँ पार्वती ने स्कन्द को तारकासुर नामक राक्षस का युद्ध करने के लिए प्रसिक्षित किया था, इसीलिए उन्हे स्कंदमाता नाम से भी जाना जाता है।
- स्कंदमाता के इस स्वरूप में कार्तिकेय उनकी गोद में विराजमान रहते थे।
- चारभुजाओ वाली माँ स्कंदमाताका वाहन सिंह है।
- स्कंदमाता की पूजा में धनुष बाण चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
स्कंदमाता कथा
पौराणिक कथाओ के अनुसार तारकासुर नाम का एक राक्षस था। तारकासुर ने ब्राह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। उसकी तपस्या देखकर ब्रह्मदेव प्रसन्न हुए और बोले, तारकासुर मै तुम्हारे तपस्या से प्रसन्न हु, तुम मुझसे कोई वरदान मांगों।
तारकासुर ने ब्रह्मदेव से अमर होने का वरदान मांगा। तब ब्रह्मदेव ने कहा, “हे तारकासुर जो इस धरती पर जन्म लिया है, उसे एक न एक दिन मारना ही है, यही सृष्टि का नियम है। मै तुम्हें यह वरदान नहीं दे सकता हु, तुम मुझसे कोई वरदान और मांग लो”।
ब्रह्मदेव ने तारकासुर को अमर होने का वरदान न देने पर, तारका सुर ने एक युक्ति सोची और ब्रह्मदेव से कहा, प्रभु आप मुझे तब यह वरदान दीजिए की मेरे मृत्यु भगवान शिव के पुत्र के हाथ से हो।
तारकासुर को यह पता था, भगवांन शिव साधु महात्मा है, वह मोह माया में कहा पड़ेंगे। जब उनकी शादी ही नहीं होगी तो पुत्र कहा से होगा, और मै अमर हो जाऊंगा।
ब्रह्मदेव ने तारकासुर को आशीर्वाद दिया, और अंतर्ध्यान हो गए। वरदान पाकर तारकासुर यह सोचने लगा की अब उसे कोई नहीं मार सकता है। इसीलिए वह सभी लोगों पर अत्याचार करने लगा।
उसके अत्याचार से पृथ्वीवासी मनुष्य तथा स्वर्ग लोक के देवता तक परेशान हो गए थे। समय बीतता रहा और भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ, जिसे तारकासुर ने रोकने का प्रयास किया।
तारकासुर के प्रकोप के बारे में जब भगवान शिव तथा माता पार्वती को पता चला, तो उन्होंने अपने बड़े पुत्र कार्तिकेय(स्कन्द) को युद्ध का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण माँ पार्वती ने दिया था। इसीलिए माँ पार्वती को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
नवरात्रि के पाचवा दिन की पूजा विधि
- सर्वप्रथम प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करे।
- इसके बाद गंगाजल को पूजा स्थल पर छिड़के।
- माँ का शृंगार में पीले या सुनहरे रंग के वस्त्र अर्पित करे।
- स्कंदमाता का ध्यान करे, और उन्हे रोली, अक्षत, चंदन से तिलक करे।
- इसके बाद माँ को फूलों की माला तथा फूल अर्पित करे।
- माँ को भोग में केले चढ़ाए।
- दुर्गा सप्तसती का पाठ करे।
- अंत में माँ दुर्गा कपूर से आरती करे।
- पूजा के पश्चात माँ से क्षमा याचना जरूर करे।
लाभ
- माँ के आशीर्वाद से बल, बुद्धि, विद्या में वृद्धि होती है
- आने वाली सारी विपतियों का नाश होता है।
- शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य अच्छा रहता है,मानसिक विकास होता है।
- आपके घर मे सकारात्मक शक्तिया प्रवेश करती है।
- आपके परिवार में सुख- समृद्धि आती है।
- आपकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है।