नवरात्रि के पावन त्योहार का द्वितीय दिन आनंद और उत्साह से भरा होता है। यह दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने हेतु मनाया जाता है।
- नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरी शक्ति माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
- माँ ब्रह्मचारिणी को उमा, अर्पणा आदि नामों से भी जाना जाता है।
- भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए माँ ने हजारों वर्ष तक कठिन तपस्या की।
- हजारों वर्षों तक तपस्या करने के कारण ही माँ का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
- तपस्या के दौरान माँ ने निराहार रह कर कठोर तपस्या किया।
- इनके तप को देखकर सभी देवता प्रसन्न हुए और आशीर्वाद दिया, भगवान शिव उन्हे पति के रूप में मिले।
- माँ ब्रह्मचारिणी समस्त जगत के ऊर्जा प्रवाह की जननी है।
- माँ स्वेत वस्त्र धारण करती है, और इनको पीला तथा सफेद रंग अतिप्रिय है।
- माँ के एक हाथ में अष्टदल की माला, तथा दूसरे हाथ मे कमंडल होता है।
- माँ का स्वभाव अत्यंत शांत और प्रिय है, तथा यह भक्तों से जल्दी प्रसन्न होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी कथा
शास्त्रों के अनुसार माता सती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए, महाराज हिमालय के यहा पुत्री के रूप में पुनर्जन्म लिया।
एक दिन देवर्षि नारद ने माता सती को बताया की वो तपस्या कर के भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकती है, और उनकी अर्धगनी बन सकती है। माता ने तपस्या करने का संकल्प लिया, और हजार सालों तक निराहार रह कर तपस्या की।
माता की तपस्या से सभी देवता प्रसन्न हुए, और भगवान भोलेनाथ उन्हे पति के रूप मे मिले। माता की कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम माँ ब्रह्मचारिणी पड़ा।
माता सती स्वयं आदिशक्ति थी, उन्होंने जनकल्याण के लिए मनुष्य रूप में जन्म लिया था।
द्वितीय दिन नवरात्रि की पूजा विधि
- सुबह उठकर स्नान करे और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- इसके बाद माँ को गंगाजल से स्नान कराए, माँ का शृंगार करे।
- इसके बाद रोली, चंदन से माँ का तिलक करे।
- अगरबत्ती, धूप, दीप जलाए।
- इसके बाद एक हाथ में पुष्प लेकर माँ का ध्यान करे और पुष्प अर्पित करे।
- ध्यान मंत्र – “दधना करपदमाभ्यामक्षमालाकमंडलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।“
- पुष्प में लाल गुड़हल तथा कमल के फूल माँ को आतिप्रिय है
- भोग में दूध से बनी हुई चीजे, चीनी, मिश्री, पंचामृत का भोग लगा सकते है।
- इसके बाद दुर्गा सप्तसती का पाठ करे।
- और अंत में माँ दुर्गा की आरती करे।
द्वितीय दिन नवरात्रि के लाभ
- माँ के आशीर्वाद से धन, सम्मान, बल, बुद्धि की वृद्धि होती है।
- आपके घर आने वाले सारे कष्टों का नाश होता है।
- किसी भी प्रकार के शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है।
- आपको दीर्घायु तथा निरोगी काया मिलती है।
- आपकी सारी मनोकामनाए पूर्ण होती है।