माँ सरयू की आरती, हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है। जो अयोध्या मैं बह रही सरयू माता को अर्पित हैं । इस आरती के माध्यम से, हम माँ सरयू के प्रति अपनी श्रद्धाभावना और आदर्श बढ़ाते हैं और इसे एक आध्यात्मिक साधना का हिस्सा बनाने के लिए अपने मन को समर्पित करते हैं।
सरयू माता की आरती का पाठ करने से व्यक्ति अपने मन की शुद्धि की दिशा में कदम बढ़ाता है और सफलता, शांति, और आध्यात्मिक समर्पण की प्राप्ति के लिए प्रेरित होता है
॥ सरयू माँ की आरती ॥ (Saryu Maa Ki Aarti In Hindi)
ॐ जय सरयू माता, मैया जय सरयू माता ।
राम जन्म भूमि का, कण कण तुझे ध्याता॥1॥
ॐ जय सरयू…
विष्णु जी जब हर्षाए, ब्रह्मा जी के तप से ।
उनके नेत्रों से हैं प्रगटी, प्रेम अश्रू बन के ॥2॥
ॐ जय सरयू…
नैनों से जल बिन्दू, विष्णु जी के गिरे ।
मान सरोवर में तब, ब्रह्मा जी उनको धरें ॥3॥
ॐ जय सरयू…
ऋषि वशिष्ठ के तप की, ऋषियो ने कथा कही ।
तज के सरोवर सरयू, अयोध्या में आके बही ॥ 4॥
ॐ जय सरयू…
राम चले निज धाम तो, सरयू में समाएं ।
राम राज्य की साक्षी, भक्तों को भाएं॥5॥
ॐ जय सरयू…
पाप नाशिनी मोक्षदायनी, कही ना जाए गाथा ।
हर जल कण तेरा पावन, है मुक्ति दाता ॥6॥
ॐ जय सरयू…
आरती करके तुम्हारी, प्रण यही दोहराएं ।
सुन्दर मंदिर राम का, अयोध्या में बनाएं ॥7॥
ॐ जय सरयू…
सरयू माता की आरती करने का तरीका और समय क्या होना चाहिए ?
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माँ सरयू की आरती का पाठ करने का तरीका और समय हिन्दू धर्म में अनेक परंपराओं और स्थलों के अनुसार बदल सकता है, लेकिन यह कुछ सामान्य निर्देश हैं:
तरीका:
आरती का प्रारंभ: आरती का प्रारंभ उपयुक्त पूजा सामग्री और धूप-दीपक के साथ होता है। प्रारंभ में, भक्त अपनी कई आराधना का समर्पण करते हैं और माँ सरयू की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।
आरती का पाठ: माँ सरयू की आरती को सामान्यत: ब्राह्मण या पुजारी द्वारा पढ़ी जाती है, लेकिन यदि व्यक्ति इसे स्वयं पढ़ना चाहता है, तो खुद भी पद सकता हैं।
आरती के बाद: आरती की समाप्ति के बाद , भक्त अपनी प्रार्थनाएं करते हैं और माँ की कृपा के लिए ब्रह्माणों और पुजारियों को धन्यवाद देते हैं।
समय:
प्रातःकाल: माँ सरयू की आरती को प्रातःकाल में करना विशेषत: प्रशंसनीय माना जाता है। इस समय पर नदी का ताजगी और शांति का अनुभव होता है, और यह प्रातः समय के शुभ माना जाता है।
सायंकाल: कुछ स्थानों पर माँ की आरती को सायंकाल में भी किया जा सकता है। इस समय पर भी नदी का दृश्य अद्वितीय होता है और शांति का वातावरण बना रहता है।
माता सरयू की आरती को करने का समय और तरीका स्थानीय संस्कृति, परंपरा और व्यक्ति की आदतों के आधार पर बदल सकता है, लेकिन यह सामान्यत: नियमित और श्रद्धापूर्वक किया जाता है।